मेरी रेसिपी में आपका स्वागत है। जौ एक भरपूर मात्रा का पौष्टिक धान है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाए जाते है। यह राजस्थान का बड़े चाव से खाने वाला खाना है। राजस्थान में इसे गुलीचड़ा कहते है। गुलीचड़े को बहुत ताकतवर माना जाता है। यह खाने में बहुत स्वादिस्ट लगता है। ब्रेकफास्ट में दलिया खाना लोग काफी पसंद करते हैं। बच्चे हों या बड़े, सभी लोग जो का दलिया खाना पसंद करते हैं। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ ही स्वास्थ्य के लिए भरपूर होता है। स्तनपान कराने वाली महिला के लिए जौ का दलिया बहुत ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। आजकल की पीढ़ी को यह साफ करने और बनाने का तरीका काफी कठिन लगता है। तो आज हम आपको एक आसान तरिके से जौ को साफ करने से लेकर इसके दलिये की खिचड़ी(गुलीचड़ा)बनाने की विधि बतायंगे। तो आइये जानते है इस रेसिपी का आसन तरीका।
जौ को साफ करने के लिए सामग्री
- जौ – 1/2 किलो
- पानी – 1/2 कप (गुनगुना)
- मिक्सी, छलनि, फटकने के लिए बांस की सुपड़ी (छाला) या पंखे से भी साफ कर सकते है।
जौ को साफ करके दलिया(गुली) बनाने की विधि
हम साफ जौ लेंगे और इसमें थोड़ा-थोड़ा करके पानी छिड़केंगे। पानी छिड़कने के बाद जौ को सूती कपड़े में ढककर तीन-चार घंटे के लिए रख देंगे। इस टिप्स से जौ थोड़ा लचीला हो जाता है। तो इसे साफ करने में आसानी रहती है। अब मिक्सी की जार ले और इसमें भगोये हुए जो डालकर मिक्सी को चार-पांच बार चलाये ऐसा करने से जौ का कचरा अलग होता जायेगा। अब इसे बांस की सुपड़ी (छाला) में डाले और धीरे-धीरे दोनों हाथो से बांस की सुपड़ी (छाला) को पीछे से पकड़कर फ़टक ले। जौ का कचरा बिल्कुल हल्का होता है जो आसानी से आगे चला जायेगा। यदि आपको फटकना नहीं आता है तो आप छोटे पंखे से धीमी रेस पर उफ़न सकते है। एक बार में कचरा अलग नहीं होता है तो इसे बार-बार इसी तरिके से पिस्ते और फटकते रहे। जब सारा कचरा अलग होकर दलिया(गुली) निकल जाए तो यह साफ हो जाता है। अब साफ जौ को फिर से मिक्सी में ड़ालकर मेथी के दाने जैसे आकर का पीस ले और आटा छानने वाली छलनी से छान ले ताकी आटा और दलिया(गुली) अलग हो जाये। जौ के आटे की रोटी या हलवा भी बना सकते है। यह खाने में बहुत स्वाद लगता है। लो सा जौ से दलिया(गुली) बनकर तैयार है। अब हम जौ के दलिया(गुली) से खीर,नमकीन खिचड़ी,सुप और मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) बना सकते है। लेकिन मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) खाने में स्वाद और सेहत के लिए ज्यादा लाभकारी होती है। तो आइये तैयार दलिया(गुली) से मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) बनाते है।
जौ से मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) बनाने के लिए सामग्री
- जौ का दलिया(गुली) – 1 कप
- पानी – 4 कप
- चीनी – 1 कप
- घी – 2 छोटे चमच्च
- काजू – 8-10
- किसमिश – 5-7
- बदाम – 5
- इलाइची – 3 कूटकर
- केसर – 5-7 कलियां
- खाने वाला पीला कलर – 1 चुटकी
जौ से मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) बनाने की विधि
एक थोड़ा बड़ा भगोना ले और गैस चालू करके भगोने में पानी डालकर भगोने को गैस पर रख दे। गैस की आंच तेज रखे और इसमें खाने वाला पीला कलर और इलाइची डालकर पानी को अच्छे से उबलने दे। अब उबले हुए पानी में दलिया(गुली) डालकर गैस की आंच घीमी कर दे। अब बड़े चमच्च की सहायता से दलिया(गुली) को लगतार चलाते रहे ताकि इसमें कोई गुटली ना पड़े। धीमी आंच पर इसे अच्छे से पकाये की जब तक दलिया(गुली) पूरा पानी ना सोख़ ले। पूरा पानी सोखने के बाद इसमें चीनी, काजू, किसमिश(काजू ,किसमिश को दस मिनट पहले भिगो दे) और केसर डालकर थोड़ा ओर पका ले। अब गैस को बंद करके इसमें देसी घी डालकर हिला ले। ढ़कन बंद करके रख दे। लो सा जौ से मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) बनकर तैयार है। थोड़ी देर बाद परोसे यह खाने में इतना लाजवाब बनेगा के आप रोजाना इसे खाना पसंद करने लगेंगे। इसे हम दूध में मिलाकर भी खा सकते है। यह एक दिन तक खराब नहीं होता है। इसे बनाना जितना आसान है उतना ही ज्यादा खाने में स्वाद है।
जौ से बनी मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) खाने से फायदे
जौ से बनी मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) खाने से ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रखती है। जौ में मौजूद फ़ाइबर पाचन के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जौ खाने से कब्ज़ की समस्या कम होती है और आंत की समस्याओं में सुधार होता है। जौ खाने से डायबिटीज की समस्या दूर होती है। जौ खाने से मधुमय रोग से बचा जा सकता है। जौ खाने से आर्ट अटेक आने का डर कम रहता है। जौ खाने सेवजन और मोटापा दोनों कम होता है। स्तनपान कराने वाली महिला के लिए जौ से बनी मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) बहुत ज्यादा लाभदायक होती है इससे दूध आने की मात्रा में बढ़ोतरी होती है और बच्चा स्वस्त और मजबूत होता है। जौ से बनी मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) हम सात-आठ महीने के बच्चे को भी खिला सकते है। इसे खाने बच्चे का पेट लम्बे समय तक भरा रहता है।
जौ से बनी मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) खाने से नुकसान
सीलिएक रोगी को जौ से बनी मीठी खिचड़ी(गुलीचड़ा) कभी नहीं खानी चाहिए। जौ का सेवन करने से उन लोगों को एलर्जी हो सकती है जो अन्य अनाजों जैसे राई, मक्का गेहूं, जई और चावल से होती हैं। इनके लिए नुकसानदायक हो सकती है।